Assam NRC Draft-2019
परिचयउत्पत्ति के अनेकानेक प्रक्रियाओं से गुजर कर शुन्य में टिकी एक धरा जहाँ जीवन का वजूद स्थापित हुआ उस ग्रह का नाम पृथ्वी "EARTH" रखा गया। इस धरा के जीवउत्पत्ति केअनेक सिद्धांत तय किये गए ,विद्वानों के बीच मतान्तर भी रहा पर एक मुद्दा जरूर ऐसा था जिसपर सभी धुरंधरों की एक राय बनी वो थी अधिकारों का वर्गीकरण और उसका विस्तारीकरण। शुरूआती दिनों में धरा एक रही होगी ,न कोई महादेश और न ही कोई देश रहा होगा। परन्तु जैसे -जैसे विकास का प्रादुर्भाव होता गया धरा ही नही अपितु नभ,नीर ,विचार ,समाज,संस्कृति ,प्रकृति इत्यादि सबका बंटवारा हो गया। "ये तेरा घर ये मेरा घर" का वैचारिक सिद्धांत इतना प्रबल हो गया कि कर्तव्य कमजोर होता गया ,अधिकार अवसादग्रस्त हो गया और अनाधिकार शब्द बलवान होता चला गया। शनैः शनैः बात अधिकार से ऊपर उठकर अधिकार हनन तक जा पंहुचा तात्पर्य हक़ की रोटी के साथ-साथ दो-एक रोटी की हकमारी भी अधिकार क्षेत्र का वास्तविक विस्तार माना जाने लगा। दूसरों के अधिकारों का मान मर्दन बलवान होने का प्रमाण होने लगा। और यहीं से शुरू हुआ उन तमाम हथकंडो का जिससे अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक के बीच की पतली सी अदृश्य दीवार टूटने लगी थी। परिणामस्वरुप अल्पसंख्यक ,बहुसंख्यक और बहुसंख्यक ,अल्पसंख़्यक हो गए। यह प्रक्रिया जब अप्राकृतिक और असामान्य हो तो उत्कृष्ट मापदंड के अभाव में लाभ से कहीं ज्यादा हानि पंहुचा रहा होता है।
परिपेक्ष -Assam NRC Draft-2019
यह प्रक्रिया जब विकराल एवं वीभत्स रूप ले लेता है तो जो परिस्थितिया उभरती है उसे अंग्रेजी में Demographic Change कहते हैं। वैसे तो Demographic Change नाम की महामारी से हिन्दुतान का कोई भी क्षेत्र अछूता नही है पर सर्वाधिक कुप्रभावित राज्यों में असम -ASSAM प्रमुख स्थान पर है। राजनैतिक स्वार्थलोलुपता,तुष्टिकरण,लचर शासन प्रणाली ,असंगठित सामाजिक स्वरुप तथा सरल और समावेशी सांस्कृतिक दुर्बलता शायद इतना प्रबल हो गया कि भूखे नंगे परन्तु हिंसक प्रवृति लिए बांग्लादेशी अवैध घुसपैठ कर Infection की तरह असम के हर संसाधन का इस कदर दोहन करने लगे मानो उनके पुरखों की जागीर हो और इस तरह आसामरूपी शरीर को अंदर से खोखला करने लगा।
Assam NRC Draft-2019
NRC-ASSAM-2019 |
आज़ाद हिंदुस्तान के गुलाम राजनैतिक जयचंदों ने अंग्रेजों के अंग्रेजी उपहार "फूट डालो और शासन करो "(Divide and Rule) की नीति को संभाल कर ही नहीं रखा बल्कि लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और इन बाह्य घुसपैठियों को वो तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई जो असम के मूल लोगो का जन्मजात अधिकार था। इस Demographic Change ने इतना व्यापक कुप्रभाव डाला की इसका असर सम्पूर्ण देश के राजनैतिक ,सामाजिक ,सांस्कृतिक तथा अन्य क्षेत्रों के मानस पटल पर स्पष्ट दिखने लगा। कहते हैं जब वक़्त करवट बदलता है ,जब आह अंगड़ाई लेती है,जब सिसकती ,हकलाती,घिघयाती अँधेरी रात स्वयं घोर अँधेरे का शिकार हो जाती है ,तब कोने से आती एक लौ भी मशाल बन जाती है ,एक चिंगारी भी विस्फोटक रूप ले लेती है ,एक विचार क्रांति का रूप ले लेता है और तब काली घटा छंटने लगती है और एक सुनहरा सूर्योदय इंतजार कर रहा होता है।
जेठ की गर्म लू के थपेड़े खा-खाकर बेसुध पड़ा असमिया स्वाभिमान मंद मंद श्वास भरने लगा ,कुठाराघात से सूखी बंद आंखें अब धीरे धीरे आशा -उम्मीद की नमीं लिए आंख के किसी कोने से रिसने लगा था,ढीली पड़ी विश्वास की नसों में अब आत्मविश्वास तेज रफ़्तार से दौर रहा था। वजूद की रक्षा और भविष्य की सुरक्षा हेतु असमिया फक्कड़पन बेबाक होने लगा ,सामाजिक जाग्रति आने लगी जिसने स्वार्थी और मदहोश जयचंदों की नींद ही नही अपितु नींव भी हिला दी।
शासन बदल गया ,प्रशासन मजबूर हो गया ,लोकतान्त्रिक व्यवस्था हरकत में आने लगी ,सामाजिक क्रांति का ऐसा तानाबाना बुना गया कि विधायिका,कार्यपालिका से लेकर न्यायपालिका तक हिल गई। परिणामस्वरूप देश की सर्वोच्च न्यायलय के संरक्षण में Demographic Change का अवलोकन कर वास्तविक परिपेक्ष के पुनः स्थापन का आदेश दिया गया ।
विश्लेषण -Assam NRC Draft-2019
बढ़ती जनसख्या और सिमित संसाधनों का तीव्र शोषण किसी भी सभ्य समाज का परिचय नही हो सकता। सरकार कितनी भी policies ले आये ,जब तक जनसंख्या control नही होगा ,विकास की सार्थकता सिमित ही रह जाएगी।
असम के परिपेक्ष में जनसख्या का विस्फोट बांग्लादेशी घुसपैठिये का ऐसा रूप है जिसने असम के आम जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। दिनानुदिन हिंसा ,मादक पदार्थो की तस्करी ,गौ तस्करी ,नकली नोटों का धंधा,दंगा और न जाने कितने ही गैरकानूनी काम होने लगे ।
प्रश्न तो उठेंगे आखिर इतने सख्त सुरक्षा होने के बावजूद इतनी भारी संख्या में घुसपैठ कैसे हो गया? ये एक दिन में तो नही हुआ होगा ?खैर आरोप प्रत्यारोप के चक्कर में न पर वास्तविकता से जुड़े तःथ्यों का विश्लेषण जरुरी है।
पूर्वी बांग्लादेश बनने के काल से घुसपैठ की शुरआत हुई और ये लगातार चलता रहा वोट की राजनीति के लिए। १९७१ के युद्ध से पहले दमनकारी पाकिस्तानी नीतियों का यह नतीजा रहा की बहुत से बांग्लादेशी भारत में घुसपैठ कर गए। राजनितिक इच्छाशक्ति के आभाव में इस घुसपैठ ने ऐसी स्थति ला दी की असम के कई जिले ऐसे है जहाँ घुसपैठिये बहुसंख्यक हो गए है। बशीरहाट ,चिरांग ,बोंगईगांव आदि कुछ ऐसे क्षेत्र है जहाँ 70 से 80 फीसदी तक मुस्लिम population हो गया जबकि 2011 की जनगणना के हिसाब से ३० फीसदी से भी कम यहाँ की अल्पसंख्यक अर्थात मुस्लिम आबादी थी।
आज जबकि NRC Draft -2019 का final रिपोर्ट आ गया है तो लाजमी है बहुत से नेताओ के पेट में दर्द भी होगा कि 19 लाख के आसपास जो उनके वोटबैंक थे वो हाथ से निकल जायेंगे। जिन लोगो के नाम इस लिस्ट में नही है वो Illegal Migrants (Determination by Tribunal) Act, 1983 के तहत Foreigners Tribunal में खुद के नागरिकता से जुड़े प्रामाणिक कागजात के साथ जा सकते हैं।
ये सारी प्रक्रियाएं 120 दिनों के अंदर होना है तो तय मानिये आने वाले दिनों में परिस्थतिया सुलझेंगी बहुत हद तक तो परिस्थितिया उलझेंगे भी।
चुनौती -Assam NRC Draft-2019
19 लाख से ज्यादा लोग विदेशी नागरिक घोषित किये गए हैं ,मतलब साफ़ है इतने लोगों को इनके देश वापस भेजना साधारण बात नही है। अशांति,हिंसा आदि ना हो इसके लिये जरुरी कदम के साथ ही सुनियोजित विस्थापन की पूरी तैयारी भी करनी होगी।
सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न या चुनौती जो सामने दिख रही है कि कितने घुसपैठिये को बांग्लादेश वापस लेगा? क्यूंकि ये 2 ,4 या 10 का मामला नही है। और अगर लेगा तो किन शर्तो पर ?अगर बांग्लादेश इन्हे लेने से मना कर देता है तो क्या विकल्प बचते हैं ?
निष्कर्ष -Assam NRC Draft-2019
सारी प्रक्रियाओं के तहत जब असम घुसपैठिया मुक्त होगा तो जरूर असम के लोगों के विकास की रफ़्तार तेज होगी,crime घटेगा और असम अपने पुराने पहचान को फिर से जीवंत करेगा। Assam NRC Draft-2019 की ये प्रक्रिया अभी शुरुआत ही समझी जानी चाहिए क्यूंकि बंगाल ,बिहार ,ओड़िसा ,दिल्ली और बाकि राज्यों में भी भारी घुसपैठ है। स्वार्थ से ऊपर उठ राजनितिक पार्टियों को एकमत हो पुरे देश में इसे लागू करने की जरुरत है। देश की भलाई में ही हम सब की भलाई है।
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