Saturday 3 August 2019

Blogging

हिंदी का श्रृंगार और उसका आलिंगन हाल के दिनों तक मेरे लिए सिर्फ उपहास का विषय था।सोचता था आज के इस आपा-धापी और खचाखच भरी  भीड़-भाड़ में कहीं मेरी  हिंदी का मान-मर्दन न हो जाये,कहीं वो कथित 'Mob Lynching' का शिकार न हो जाये। Software और Western Lifestyle के इस दौर में कहीं मेरी हिंदी किसी Window XP की तरह Out of Dated न हो जाये ,साथ ही साथ सादगी और शालीनता की पहचान हम सब की हिंदी किसी Jeans -Top और मटक-मटक कर चलने वाली 'English-Winglish' के सामने जलील न हो जाये। इस डर ने मेरी शब्दों,भावनाओं को कैद एवं कलम को अर्थहीन बना दिया था। यह सच भी है कि आज के दौर में वास्तविकता से परे हिंदी की प्रामाणिकता से कुठाराघात किया गया। खैर,सच्चाई जो भी हो देश आजाद है, सो कलम को भी उतनी ही स्वतंत्रता है।
हिंदी के बड़े-बड़े धुरंधरों को जब पढ़ता हूँ तो हँसी,खुशी,गम,आंसू,विचारशून्य,विचारशील इत्यादि जैसे अनेकानेक  आव-भाव   क्रमशः शब्दों की गतिशीलता  के हिसाब से बदल रहे होते हैं। अतः इंसान की भावनाओ को झकझोर  देनेवाली ताक़त लिये इन शब्दों से दो-एक होने की इच्छा मेरी भी जागने लगी।
कहते हैं लेखक "God Gifted"होते हैं , 'Inbulit Software' की तरह और इसलिए 'Unique' होते हैं,मैं भी इस विचार से 100 फीसदी सहमत हूँ। तब मन में एक कसक रह जाती है और यकायक प्रश्न आ जाता है कि जो 'God Gifted' नहीं हैं,जिनकी हिंदी ज्ञान अधूरी है, जो थोड़ी बहुत ताकझांक, जुगाड़ से Pirated या Duplicate Software होकर हिंदीरूपी 'Operating System' में Installed हो जाते हैं, उनकी भी तो अपनी अलग जगह है,आखिर सब लोग Original Version ही नहीं खोजते हैं, Pirated का भी बहुत बड़ा बाज़ार है।
यह सोचकर मैंने हिंदी में लिखने का Risk उठाया,डर है कि हिंदी के इस हरे भरे मैदान पर 'Hit Wicket' न हो जाऊं! फिर हिम्मत जगती है कि Crease पर रहना या आउट हो जाना तो  खेल का हिस्सा है,जीत हर हाल में मेरी ही होनी है, क्योंकि सफलता या असफलता दोनो ही Case में आप कुछ न कुछ जरूर सीखते हैं।
फिर  मिला इंटेरनेट की दुनिया का ऐसा Plateform जहाँ कोई Reservation नहीं था,जहाँ कोई जातीय रंजिश नहीं थी,जहाँ कोई धार्मिक विभाजन नहीं था,जहाँ आजादी थी, अपने विचारों एवं भावनाओ को पंख देने का और ऊंची उड़ान भरने का,जिसे उनकी भाषा में "Blogging"कहते हैं।
किसी ने कहा टॉपिक Select Karo फिर लिखो,किसी ने कहा Lifestyle पर लिखो,अनानेक Suggestions से गुजरता हुआ में' किंकर्तव्यविमूढ़'हो गया जैसे कोई Computer 'Hang' हो जाता है।
मेरी भावनाएं मुझे अशांत कर रही थीं ,ऐसा क्या लिखूं की वो लोगो को पसंद आ जाये,लोग मेरे Blogs को पढें,अच्छे-अच्छे Comments मिले और मेरी लेखिनी  धूप और बारिश के बीच आसमान में  किसी "सतरंगी इंद्रधनुष"की तरह भव्य रुप ले।
इन सब विचारों के बीच मैं खुद को भावहीन समझने लगा,महसूस हुआ कि जब मैं अपने लेखनी से खुद को खुश नहीं कर सकता तो दूसरों को क्या खुश करूँगा।और इसलिए मेरी लेखनी में निरंतरता बनी रहे इसके  लिए जरूर यह है कि मैं वो लिखू जो मुझे पसंद है,जिसे मैं शब्दों के माध्यम से 'जी' सकूँ, जो मुझे नैसर्गिक आत्मबल दे।
मेरी भावनाओं से सहमति भी होगी और असहमति भी, क्योंकि जीवन का सिर्फ एक पक्ष नहीं हो सकता, फिर भी आने वाले दिनों में हर उस पहलू को छूने का प्रयास करूंगा जिसमें मेरी जीत हो या हार,  "इंसानी जज्बात,इंसानियत,पशु-पक्षी,धरा और इन सबसे ऊपर "हिंदी" की जीत होनी चाहिये।इसमें अगर बूँद भर भी योगदान कर पाया तो मेरी यह यात्रा सफल हो जाएगी।

"कभी भाव लिखता हूँ, कभी जज्बात लिखता हूँ,
कभी जमीं तो कभी आसमां लिखता हूँ।
इस छोर से उस छोर तक ,इस ओर से उस ओर तक,
निर्बाध लिखता हूँ,बेपरवाह लिखता हूँ,जैसा भी लिखता हूँ ,हर वक़्त बेहिसाब लिखता हूँ"।

आभार।

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