वैसे तो मेरी अनुभहीनता मेरी लेखनी के रास्ते का रोड़ा हमेशा बनती है पर पिछले 4-5 दिनों से ये किसी ऊंचे टीले से कम नहीं,जहाँ मेरी भावनाएं ,मेरे विचार उस ऊंचाई के सामने बौना साबित हो रहा।सामान्यतः मैं एक कॉलम कुछ घंटों के मेहनत के बाद लिख लेता हूँ पर आज चौथा दिन है जब मैं वाक्य के पांचवे पूर्णविराम से आगे लिखने में कठनाई महसूस कर रहा हूँ।बचपन से जिस विषय पर निबंध लिखता आया,भाषण देता आया उस 15 अगस्त पर आज लिखना मेरे लिए किसी भावनात्मक गुलामी से कम नहीं जहाँ मेरे शब्द मेरे विचारों का साथ नहीं दे रही।
"Freedom at Midnight", "Gandhi or boss " और कुछ अन्य आलेख पढ़ अपनी आज़ाद लेखनी को धार देने की पूरी कोशिश कर रहा था।लेकिन पिछले दो दिनों से नरेंद्र मोदी जी और आज "राजनीति की सुषमा" जी ने मेरी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया।
#15 August,#Article 370 और आज #सुषमा जी का देहावसान,समझना कतिपय कठिन नहीं कि मेरे लिए ये कितना असमंजस भरा वक़्त है।क्या लिखूं,कहाँ से शुरू करुँ और कहा अंत करूँ कुछ नहीं समझ आ रहा।काफ़ी जद्दोजेहद के बाद निर्णय लिया कि आज सुषमा के "शर्मा से स्वराज" बनने की कहानी लिखूँ।
#सफल बचपन #सफल ncc cadet#सफल शिक्षा #सफल वकील #सफल प्रेम विवाह,#सफल गृहणी#सफल पत्नी#सफल माँ# सफल सांस्कृतिक पहचान#सफल प्रथम BJP की महिला प्रवक्ता#सफल मुख्यमंत्री#सफल विदेश मंत्री और इन सबसे ऊपर एक प्रखर वक्ता और एक सफल इंसान शायद कम पड़ जाए "स्वराज" को वर्णन करने के लिए।
स्वराज कॉल से शादी कर सुषमा शर्मा का स्वराज बन जाना और फिर माथे में सिंदूर,गले मे मंगसलसूत्र और भारतीय परिधान ,कितनी गौरवान्वित होती होगी भारतीय संस्कृति।
राजनीति की ऐसा कोई कला नहीं जिसे सुषमा जी ने गढ़ा नहीं ,शायद इसलिए ही तो विपक्षी भी उनके कायल थे।
कौन भूल सकता है संयुक्त राष्ट्र में उनका अमिट भाषण जहाँ उन्होंने हिंदी का सर ऊंचा ही नहीं किया अपितु पाकिस्तान की धज्जियां उड़ा दी।भारतीय विदेशनीति को एक अलग ऊंचाई दे भारत की विश्वप्रतिष्ठा को नया मुकाम दे गईं 'स्वराज'।महिला सशक्तिकरण का एक नायाब उदारण थी 'स्वराज'।
खैर,राजनीति के सुषमा का चले जाना जैसे भारतीय राजनीति के प्राकृतिक सौंदर्य का चले जाने जैसा है। भारतीय राजनीति का ये खालीपन शायद ही पूर्ण हो।जो भी हो एक बार फिर ये बात सच हो गई कि अच्छे लोगो की आयु कम होती है शायद भगवान को उनकी ज्यादा जरूरत महसूस होती होगी।
आज़ादी की बात जल्द करूँगा फिलहाल अंतर्मन से स्वराज जी को "श्रद्धांजलि"।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
आभार।
"Freedom at Midnight", "Gandhi or boss " और कुछ अन्य आलेख पढ़ अपनी आज़ाद लेखनी को धार देने की पूरी कोशिश कर रहा था।लेकिन पिछले दो दिनों से नरेंद्र मोदी जी और आज "राजनीति की सुषमा" जी ने मेरी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया।
#15 August,#Article 370 और आज #सुषमा जी का देहावसान,समझना कतिपय कठिन नहीं कि मेरे लिए ये कितना असमंजस भरा वक़्त है।क्या लिखूं,कहाँ से शुरू करुँ और कहा अंत करूँ कुछ नहीं समझ आ रहा।काफ़ी जद्दोजेहद के बाद निर्णय लिया कि आज सुषमा के "शर्मा से स्वराज" बनने की कहानी लिखूँ।
#सफल बचपन #सफल ncc cadet#सफल शिक्षा #सफल वकील #सफल प्रेम विवाह,#सफल गृहणी#सफल पत्नी#सफल माँ# सफल सांस्कृतिक पहचान#सफल प्रथम BJP की महिला प्रवक्ता#सफल मुख्यमंत्री#सफल विदेश मंत्री और इन सबसे ऊपर एक प्रखर वक्ता और एक सफल इंसान शायद कम पड़ जाए "स्वराज" को वर्णन करने के लिए।
स्वराज कॉल से शादी कर सुषमा शर्मा का स्वराज बन जाना और फिर माथे में सिंदूर,गले मे मंगसलसूत्र और भारतीय परिधान ,कितनी गौरवान्वित होती होगी भारतीय संस्कृति।
राजनीति की ऐसा कोई कला नहीं जिसे सुषमा जी ने गढ़ा नहीं ,शायद इसलिए ही तो विपक्षी भी उनके कायल थे।
कौन भूल सकता है संयुक्त राष्ट्र में उनका अमिट भाषण जहाँ उन्होंने हिंदी का सर ऊंचा ही नहीं किया अपितु पाकिस्तान की धज्जियां उड़ा दी।भारतीय विदेशनीति को एक अलग ऊंचाई दे भारत की विश्वप्रतिष्ठा को नया मुकाम दे गईं 'स्वराज'।महिला सशक्तिकरण का एक नायाब उदारण थी 'स्वराज'।
खैर,राजनीति के सुषमा का चले जाना जैसे भारतीय राजनीति के प्राकृतिक सौंदर्य का चले जाने जैसा है। भारतीय राजनीति का ये खालीपन शायद ही पूर्ण हो।जो भी हो एक बार फिर ये बात सच हो गई कि अच्छे लोगो की आयु कम होती है शायद भगवान को उनकी ज्यादा जरूरत महसूस होती होगी।
आज़ादी की बात जल्द करूँगा फिलहाल अंतर्मन से स्वराज जी को "श्रद्धांजलि"।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
आभार।
Very nice thought sir
ReplyDeleteAwesome
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